आखिर क्‍या है ई-सिगरेट जिसके पक्ष-विपक्ष में एकजुट हो रहे हैं लोग

आखिर क्‍या है ई-सिगरेट जिसके पक्ष-विपक्ष में एकजुट हो रहे हैं लोग
आखिर क्‍या है ई-सिगरेट जिसके पक्ष-विपक्ष में एकजुट हो रहे हैं लोग

सेहतराग टीम

जैसा की नाम से ही जाहिर है ये पारंपरिक सिगरेट का इलेक्‍ट्रोनिक वर्जन है। दरअसल ये इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम है। सरल शब्‍दों में कहा जाए तो ये शरीर में निकोटीन पहुंचाने का इलेक्‍ट्रोनिक उपकरण है। यानी बिना पारंपरिक सिगरेट का धुआं उड़ाए आप ई सिगरेट के जरिये निकोटीन का सेवन कर सकते हैं।

अचानक चर्चा में क्‍यों आया?

दरअसल देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों के साथ-साथ लगभग एक हजार छात्रों और शिक्षकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ई-सिगरेट तथा निकोटीन उपलब्ध कराने वाले इस तरह की अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग की है। प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में इन लोगों ने कहा है कि किशोरों के बीच इन उत्पादों के हानिकारक प्रभावों के बारे में गलत सूचना है क्योंकि वे इन्हें ‘मज़ेदार उपकरण’ मानते हैं और उनके अनुसार ये उपकरण पूरी तरह सुरक्षित हैं जबकि ऐसा है नहीं।

एक हजार छात्रों के एक प्रतिनिधि ने पत्र में कहा है, ‘हमलोग स्कूली छात्र हैं और नए तरह के उत्पाद के बारे में बहुत अधिक चिंतित हैं जिसे ई-सिगरेट कहा जाता है जो हमारे साथियों के बीच खतरनाक तरीके से लोकप्रिय हो रही है। हमें पता चला है कि 13 साल तक के बच्चे ई-सिगरेट को मस्ती के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं और धीरे धीरे इसके आदि हो जाते हैं। इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में माता-पिता और शिक्षकों के बीच गलत सूचना है।’ 

हाल में एक स्वयंसेवी संस्था की ओर से कराए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ई-सिगरेट एवं निकोटीन युक्त इस तरह के अन्य उपकरणों की लोकप्रियता युवाओं के बीच बढ़ रही है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छठी और सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र भी इसे अपने स्कूल बैग में ले जाते हुए दिख जाते हैं।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय का रुख क्‍या है?

पिछले साल अगस्त में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों को परामर्श जारी कर इन उपकरणों का उत्पादन, इसकी बिक्री और आयात रोकने की सलाह दी थी। देश में पंजाब, कर्नाटक, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, झारखंड और मिजोरम ई-सिगरेट, वेप और ई-हुक्का के इस्तेमाल पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुके हैं। इसके अलावा दुनिया भर में 36 देशों में ई-सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित है।

समर्थन में भी उठी आवाज

दूसरी ओर ई-सिगरेट के उपयोगकर्ताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसे वैध बनाने का अनुरोध किया है। 3 हजार से अधिक उपयोगकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे इन उपकरणों को कानूनी रूप से वैध बनाने का अनुरोध किया है। अपनी याचिका में उन्होंने दावा किया है कि पारंपरिक सिगरेट पीना बंद करने के बाद उनके स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है।

 

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हैदराबाद के एक पेशेवर व्यक्ति जगन्नाथ सारंगापानी ने कहा, ‘मैं 51 साल का हूं और मैं ई-सिगरेट की मदद से एक दिन में 40 से अधिक सिगरेट पीने की आदत को सफलतापूर्वक छोड़ चुका हूं। मैंने सहनशक्ति हासिल कर ली है। मेरे हृदय की स्थिति बेहतर है। मेरे जैसे हजारों लोग हैं, जिनके जीवन में सकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ा है।’

दिल्ली उच्च न्यायालय ने ई-सिगरेट के ‘नए उभरते खतरे’ से निपटने के लिए उचित कदम उठाने में केंद्र के विलंब पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले वर्ष अगस्त में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को ईएनडीएस के निर्माण, बिक्री और आयात को रोकने के लिए एक परामर्श जारी किया था।

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